Posts

Showing posts with the label kavita

Random Shayari's | आकस्मिक शायरियां (Notes dump)

Image
  1. तुम्हे किसी ग़ज़ल में उतारूं, इतनी आसां नही हो तुम तुम्हे किसी पन्ने पर उकेरूं, इतनी आसां नही हो तुम और हो गया है मेरा तुम्हारा नाता भी कुछ ऐसा बस पूछने पर बता दो, इतनी आसां नही हो तुम 2. नासंजीदगी का शोक मनाऊं, या दिल्लगी का जश्न कमबख्त उसने आज मुझसे मजाक किया है 3. मेरी हर शायरी, हर कविता में तुम्हारा ज़िक्र होगा पाओगी खुद को मेरी गजलों में तभी, गर तुम्हारी तरफ से भी थोड़ा इश्क होगा और मत ढूंढना इन अल्फाजों में बिन मोहोब्बत तुम खुद को बिन मोहोब्बत ये नज़्म दस्ताने - कत्ल, जिसका अंजान कोई क़ातिल होगा 4. खामोशी चाहता है सूरज, हरारत चाहता है दरिया दोनों बेचारे कंगाली के शिकार हैं मुझे मिल न सका, जो तू फेंककर चला गया हम दोनो बेबसी के शिकार हैं ~ Ram Shrivastava Instagram page

Nasha | नशा

Image
  Nasha | नशा इन बादलों में नशा है कोई राज़ इनमें बसा है जैसे उन बरसते मोतियों से, कह रहे कुछ बात हैं जैसे दामिनी के प्रेम में, पागल हुई बरसात है जैसे सावन की घटा में, रिमझिम हुए जज़्बात हैं भीगना उस याद में दिल्लगी की सजा है इन बादलों में नशा है इन कागजों में नशा है कोई गीत इनमें बसा है जैसे किसी किताब में रचा, गौरवपूर्ण इतिहास जैसे किसी खत में लिखी, जीने मरने की आस जैसे किसी लिहाफ में बसी, एक प्रेमी की सांस, उस गीत के प्यार में जीना ही मजा है इन कागजों में नशा है इस यामिनी में नशा है कोई आरोप इसमें बसा है जैसे कथाओं में सुनी कैकेयी की ममता जैसे आज के काल में नारी की क्षमता जैसे अयोध्या लौटकर अग्निपरीक्षा देती सीता विश्वास ही तो जग के अस्तित्व की वजह है इस यामिनी में नशा है मुकद्दस नशा करता था तिरा 'मुसाफिर', ज़माने ने सौदाई समझकर बदनाम कर दिया By Ram Shrivastava | राम श्रीवास्तव

Pause ...... Hindi Kavita

Image
 Pause | पॉज़  जिस पल मैं अपने सफर में रुका, कुछ पैर में मेरे इक कंकड़ सा चुभा, रुका तो देखा, चारो ओर नजर घुमाई, कोई और नही दिखा, बस मैं और मेरी तनहाई, वो चांद भी रुक गया, जो पीछा कर रहा था, मुझे एहसास ही नही था, मैं अकेला चल रहा था, जो पेड़ हवा से झूम रहे थे,थक गए थे, जो तारे मुझे राह बता रहे थे, वो भी रुक गए थे, तब उस कंकड़ ने मुझे पुकारा, अपने पास बुलाया, पहली बार किसी ने मुझे अपने आप से मिलाया, आंख मिलाकर उसने कहा, रुक ही गए हो तो सुनो, रुकना है या चलना है तुम खुद चुनो, रुकने पर तो ये पेड़, चांद तारे भी तुम्हे हासिल नहीं, जिसकी खोज में ये सफर है, कहीं तुम खुद ही तो इसकी मंजिल नहीं, हां, शायद वो कंकड़ नहीं मेरा वजूद ही था, चलने पर तो था ही, मेरे रुकने के बावजूद भी था। ~ राम श्रीवास्तव

Surmayi Shaam Ke Saaye Mein....Hindi Poetry

Image
 सुरमई शाम के साए में.... सुरमई शाम के साये में, लोक - नदी में डुबकी लेने, जीने का उन्माद लिए, दूर किनारे बैठा मैं। सुरमई शाम के साए में, बिन कमली मंजिल तक जाने, ऊंचे ऊंचे खाब लिए, लोक - शीत में बैठा मैं। ~ Ram Shrivastava