Surmayi Shaam Ke Saaye Mein....Hindi Poetry
सुरमई शाम के साए में....
सुरमई शाम के साये में,
लोक - नदी में डुबकी लेने,
जीने का उन्माद लिए,
दूर किनारे बैठा मैं।
सुरमई शाम के साए में,
बिन कमली मंजिल तक जाने,
ऊंचे ऊंचे खाब लिए,
लोक - शीत में बैठा मैं।
लोक - नदी में डुबकी लेने,
जीने का उन्माद लिए,
दूर किनारे बैठा मैं।
सुरमई शाम के साए में,
बिन कमली मंजिल तक जाने,
ऊंचे ऊंचे खाब लिए,
लोक - शीत में बैठा मैं।
~ Ram Shrivastava
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