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Keh do | कह दो

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  कह दो हो सकता है मुकर जाएं या सब कुछ सुधर जाए ये भी हो सकता है कि सब उम्मीदें बिखर जाएं फिर भी कह दो मत लेना दर्द कभी अफसोस का भले इनकार का मौसम ठहर जाए नामंजूरी का गम नहीं है अपार क्षणभंगुर, दो पल में उतर जाए इसलिए कह दो हो सकता है उसे कोई और कह जाए तुमसे पहले, दरिया किसी और का बह जाए और बेबात की कुछ देरी के लिए वो अपना मन किसी और को दे जाए इसलिए कह दो क्या पता मन में वो भी तुमसे चाहते है कहना, न जाने कबसे बस बचे हो तुम ही अंजान और कह चुके हैं वो सब से इसलिए तुम ही कह दो न कह पाओ तो कोई नज़्म उसे सुना दो अपने दिल को किसी खत में बना दो न रहेंगे हम, तुम और न वो कल फिर रहेगी सिर्फ मोहब्बत, इसे शब्दों में पनाह दो बस कह दो -----------------------------------------------------Ram Shrivastava--------------------------------------------------------------------

Pause ...... Hindi Kavita

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 Pause | पॉज़  जिस पल मैं अपने सफर में रुका, कुछ पैर में मेरे इक कंकड़ सा चुभा, रुका तो देखा, चारो ओर नजर घुमाई, कोई और नही दिखा, बस मैं और मेरी तनहाई, वो चांद भी रुक गया, जो पीछा कर रहा था, मुझे एहसास ही नही था, मैं अकेला चल रहा था, जो पेड़ हवा से झूम रहे थे,थक गए थे, जो तारे मुझे राह बता रहे थे, वो भी रुक गए थे, तब उस कंकड़ ने मुझे पुकारा, अपने पास बुलाया, पहली बार किसी ने मुझे अपने आप से मिलाया, आंख मिलाकर उसने कहा, रुक ही गए हो तो सुनो, रुकना है या चलना है तुम खुद चुनो, रुकने पर तो ये पेड़, चांद तारे भी तुम्हे हासिल नहीं, जिसकी खोज में ये सफर है, कहीं तुम खुद ही तो इसकी मंजिल नहीं, हां, शायद वो कंकड़ नहीं मेरा वजूद ही था, चलने पर तो था ही, मेरे रुकने के बावजूद भी था। ~ राम श्रीवास्तव