Keh do | कह दो

 


कह दो
हो सकता है मुकर जाएं
या सब कुछ सुधर जाए
ये भी हो सकता है कि
सब उम्मीदें बिखर जाएं
फिर भी कह दो

मत लेना दर्द कभी अफसोस का
भले इनकार का मौसम ठहर जाए
नामंजूरी का गम नहीं है अपार
क्षणभंगुर, दो पल में उतर जाए
इसलिए कह दो

हो सकता है उसे कोई और कह जाए
तुमसे पहले, दरिया किसी और का बह जाए
और बेबात की कुछ देरी के लिए
वो अपना मन किसी और को दे जाए
इसलिए कह दो

क्या पता मन में वो भी तुमसे
चाहते है कहना, न जाने कबसे
बस बचे हो तुम ही अंजान
और कह चुके हैं वो सब से
इसलिए तुम ही
कह दो

न कह पाओ तो कोई नज़्म उसे सुना दो
अपने दिल को किसी खत में बना दो
न रहेंगे हम, तुम और न वो कल फिर
रहेगी सिर्फ मोहब्बत, इसे शब्दों में पनाह दो
बस कह दो

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