Posts

Showing posts with the label poem

मां भारती का लाल हूं | Maa bharti ka laal hoon

Image
  मां शारदा का हूं वचन, कालिका का काल हूं द्रौपदी का तेज मैं मां गार्गी का सवाल हूं मीरा की भक्ति मैं मनु की तलवार हूं सीता सा पवित्र मैं, वसुंधरा का लाल हूं, शकुंतला का सुत भरत मैं भारती का लाल हूं मां भारती का लाल हूं शिव की हुंकार मैं विष्णु सा विशाल हूं राम की श्रेष्ठता का मैं विजय गुलाल हूं कृष्ण का हूं बालपन ब्रम्ह का विचार हूं गणपति की हूं मति नरसिंह बेमिसाल हूं श्रीराम का प्रिय भरत मैं भारती का लाल हूं मां भारती का लाल हूं प्रताप का प्रताप मैं कर्ण सा दयाल हूं शिवा का स्वराज मैं जमदग्नि का उबाल हूं चाणक्य की खुली शिखा भीम का प्रहार हूं दुर्गावती का शौर्य मैं रज़िया सी मिसाल हूं ऋषभदेवसुत योगी भरत मैं भारती का लाल हूं मां भारती का लाल हूं तीन रंग पहचान है संस्कृति निहाल हूं सर्वपंथ एकता की बहुत बड़ी मिसाल हूं पिता की कठोरता मां का कोमल प्यार हूं आगामी विश्वगुरु उज्ज्वल भविष्यकाल हूं यज्ञप्रिय जन गण भरत मैं भारती का लाल हूं मां भारती का लाल हूं ~ Ram Shrivastava

Dead but Alive..... Markar bhi Shaadaab

Image
मरकर भी शादाब  | Dead but Alive नींद तो कंबख्त आती ही नहीं, वो तो वक्त का दिल रखने को वक्त पे, सो जाया करते हैं। बिना उसके कोई सूरत भाती ही नहीं, वो तो हुस्न का दिल रखने को हुस्न में, खो जाया करते हैं। पहले सी मदहोशी अब छाती नहीं, ये सूरत भी अब मुस्कुराती नहीं, कोई तीखी बात अब दिल दुखाती नहीं, चांद की चांदनी अब चिढ़ाती नहीं, शामें भी अब राग गाती नहीं, चाहें भी पर अब जान जाती नहीं, जिस्म पे कोई चोट अकुलाती नहीं, वो तो दर्द का दिल रखने को दर्द में, रो जाया करते हैं। उसकी यादें तो कमबख्त जाती ही नहीं, वो तो जश्न का दिल रखने को जश्न में, हो जाया करते हैं।